Hysteria in Hindi: हिस्टीरिया एक तरह का मानसिक रोग है। यह पुरुषों के मुकाबले औरतों में ज्यादा होता है। ज्यादातर यह 20 से 25 साल की उम्र के महिलाओं को होता है। इस रोग में पीड़ित महिला के हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं और चेहरे की आकृति बिगड़ने लगती है जिससे वह चिल्लाने लगती है। इस बीमारी में महिला कुछ बड़बड़ाने लगती है और दूसरों को मारने लगती है। इससे पीड़ित स्त्री और अधिक मानसिक दबाब में चली जाती है। इस रोग का सही तरीके से इलाज नहीं किया जाय आदमी पागल भी हो सकता है। तो चलिए आज हिस्टीरिया के कारण, लक्षण, बचने के उपाय, घरेलू उपचार।
हिस्टीरिया के लक्षण – Hysteria Symptoms in Hindi
हिस्टीरिया बीमारी में पुरुष रोगी को दौरा पड़ने का आभास हो जाता है वही महिला रोगी अपना होश खो देती है। बेहोशी का यह दौरा 24 से 48 घंटे रह सकता है। इस तरह के दौरे मे साँस लेने मे काफ़ी दिक्कत होती है और मुठी और दाँत भींच जाते है। इस रोग में अधिकतर रोगी हसने रोने लगता है। उजाला से चिढ़ता है, जोर की आवाज से डरता है। चीखने-हिलने के साथ ही पीड़ित स्त्री किसी को मार भी सकती है। इस स्थिति में पेशाब बंद हो जाता है और बेहोशी समाप्त होने के बाद पेशाब खुलकर आती है।
हिस्टीरिया के कारण – Causes of Hysteria in Hindi
किसी भी वजह से मन में पैदा हुआ डर, प्रेम में असफल होना, आरामदायक जीवनशैली, शारीरिक और मानसिक मेहनत नहीं करना, active नहीं रहना, यौन इच्छाएं पूरा नहीं होना, असलील साहित्य पड़ना, नाड़ियों की कमज़ोरी, अधिक emotional होना और सही उम्र में विवाह नहीं होना और असुरक्षा की भावना हिस्टीरिया होने के प्रमुख कारण हैं।
हिस्टीरिया और मिर्गी में अंतर
हिस्टीरिया और मिर्गी के दौरे में बहुत सामान्य अंतर होता है, इसलिए अक्सर लोग हिस्टीरिया को मिर्गी का दौरा समझ लेते हैं। मिर्गी में अचानक दौरा पड़ता है, रोगी के दाँत लग जाते है, जबकि हिस्टीरिया में अचानक अचानक दौरा नहीं पड़ता है। दौरे से पहले अनेक लक्षण आते है, रोगी को फील होने लगता है की उसकी तबीयत खराब हो रही है। इसलिए वह कोई सुरक्षित जगह देखकर लेट सकता है। उसके दाँत लगने पर होंठ और जीभ के बीच में नहीं आती। दोनों के दौरे हाथ पैरों में अकड़न समान ही होती है। मिर्गी का दौरा थोड़े टाइम के लिए होता है। जबकि हिस्टीरिया का दौरा कम या अधिक टाइम के लिए हो सकता है।
हिस्टीरिया का दौरा आने पर क्या करें – What to Do if you Have a Hysteria Attack
- हिस्टीरिया का दौरा आने पर रोगी को आम तौर पर अमोनिया सुंघाया जाता है, लेकिन यह सुघने के बाद भी दुबारा दौरा पड़ सकता है। इसलिए रोगी को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए। रोगी से बहुत बातचीत नहीं करनी चाहिए और उसके कपड़े ढीले कर देने चाहिए। रोगी के तलवों को मलें।
- दौरा पड़ने पर उसे लिटा देना दें। कमरे की खिड़कियों और दरवाजों को खोल दें ताकि शुद्ध हवा आ सके। मुँह पर ठंडे पानी छींटे मारें या उसके सिर पर तब तक पानी डालें जब तक वा होश में ना आ जाये। होश में आने पर सहानभूतिपूर्वक उसके सिर पर हाथ फेरें।
- हिस्टीरिया के रोगी को उसकी असामान्य हरकतों की वजह से मारे नहीं, इससे उसे और मानसिक कष्ट हो सकता है। हिस्टीरिया के रोगी की इच्छाओं की पूर्ति कर उसे संतुष्टि प्रदान करना इस रोग का सबसे बेस्ट इलाज है।
- जब हिस्टीरिया का दौरा पड़ने पर रोगी बेहोश हो जाए तो उसके अंगूठे के नाख़ून में अपने नाख़ून चुभोकर और चेहरे पर ठंडे पानी के छीटें मारकर उसे होश में लाने का प्रयास करना चाहिए। हींग और प्याज सुंघाने से भी लाभ मिलता है। बेहोशी की स्थिति में सबसे पहले रोगी की नाक में नमक मिला हुआ पानी डालना चाहिए।
हिस्टीरिया का इलाज के घरेलू उपचार और उपाय – Home remedies and remedies to cure hysteria
- हिस्टीरिया से पीड़ित महिला को कुछ दिनों तक फल और बिना पकाया हुआ भोजन देना चाहिए।
- जामुन के सेवन से इस रोग मे काफ़ी आराम मिलता है।
- हिस्टीरिया से पीड़ित महिला को रोजाना 1 चम्मच शहद दिन में 3 टाइम चटाने से कुच्छ दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।
- अरंडी के तेल मे भूनी हुई काली हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम रोजाना लगातार देने से उसका उदर शोधन और वायु का शमन हो जाता है। सरसों, हींग, बालवच, कारजबीज़, त्रीकटु, हल्दी और दरुहलदी को समान मात्रा में लें उसे गाय या बकरी के मुत्र में पीसकर गोलियां बना लें और छाया में सूखा लें। इसके कुच्छ दिनों के सेवन से हिस्टीरिया ख़त्म हो जाता है।
- एक पतली लहसुन छीलकर रख लें, उसे चार गुना दूध और चार गुना पानी मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं। अब आधा दूध रह जाए तो उसे छान लें और रोगी को थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें।
- रोगी को ठंडे जगह पर ले जाएँ, ठंडे पानी से नहलाएं, इसके बाद उसे ऐसी जगह बैठाएं जहाँ शुद्ध हवा और प्रयाप्त धूप मिल सके। उसे बार-बार पेशाब करने की कोशिश कराएं।
- हिस्टीरिया के रोगी स्त्री को लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग के बराबर लौह भस्म को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह और शाम के टाइम में चटा दें और उप्पर से 10-12 ग्राम मक्खन और मलाई के साथ खिला दें। इसके साथ दाल, दूध, मलाई, घी भी खिला सकते हैं।
- हिस्टीरिया रोग मे ताड़ासन, गर्भासन, उत्तनपदासन, कॉनसन, भुजंगासन, श्वसन, पद्मासन, सिंहासन, और बज्रासन इत्यादि योग करने से लाभ होता है।