मिर्गी के दौरे से बचने के आसान उपाय और रामबाण घरेलू नुस्खे: Epilepsy मिर्गी रोग का प्रमुख कारण तंत्रिका तंत्र में विकार है। इसे एपिलेप्सी भी कहते है। इस रोग में रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं। इस बीमारी में रोगी का शरीर अकड़ जाता है। यह रोग संक्रामक नहीं है इसमें मनुष्य के मानसिक कमजोरी होती है। कभी-कभी तो इस बीमारी में मस्तिष्क को क्षति हो सकती है। यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति चाहे वा 10 साल का हो या 20 किसी को भी हो सकता है। दौरा पड़ने पर रोगी 10 मिनिट से लेकर 2-3 घंटे तक बेहोश रह सकता है। इस रोग का दौरा रोगी को कभी भी पड़ सकता है।
इस रोग के उपचार से पहले हमें जानना होगा कि मिर्गी रोग के कारण और लक्षण के बारे में जिससे आप इस रोग के प्रारंभिक इलाज से काफी बच सकते हैं। इस रोग में दवा उतनी असर नहीं करती है इसलिए घरेलू नुस्खे के जरिये काफी सुधार किया जा सकता है। आइये जानते हैं मिर्गी के दौरे के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, आयुर्वेदिक घरेलू उपचार एवं परहेज Home remedies treatment tips for epilepsy Mirgi in Hindi.
मिर्गी का दौरा पड़ते समय रोगी पानी या आग के आस-पास हो। इसलिए जिस किसी रोगी को भी मिर्गी की बीमारी हो वा इन चीज़ो के करीब आने से बचें। आमतौर पर इस रोग में एलोपैथिक अंग्रेजी दवा देने वाले ज़मिनुल, ब्रोमयेद एट्सेटरा मादेसीयन देते है। जिससे आदमी का दिमाग़ सुन्न हो जाता है और रोगी को जल्दी ही लाभ मिल जाता है। लेकिन इस दवा से रोग का पूरा नाश नहीं होता। सबसे पहले मिर्गी रोग के कारण और लक्षण जानिए।
मिर्गी रोग के लक्षण – Epilepsy Symptoms in Hindi
मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज को अलग-अलग लक्षण हो सकते है, लेकिन कुछ आम लक्षण मिर्गी के दौरा पड़ने पर नज़र आते है वो इस प्रकार हैं।
- अचानक हाथ, पैरों और चेहरे के मांसपेशियों में खिचाव होने लगता है।
- सिर और आँख की पुतलियों में लगातार movement होने लगता है।
- मरीज या तो पूरे तरह से बेहोश हो जाता है या आधे.
- पेट में गड़बड़ी।
- जीभ क़टने और incontinence problem
- मिर्गी के दौरे के बाद मरीज उलझन में होता है, नींद से बोझिल और तका हुआ फील करता है।
मिर्गी होने के कारण – Causes of Epilepsy in Hindi
वैसे तो मिर्गी होने के सही कारण बताना मुश्किल है लेकिन कुछ प्रमुख कारण हैं जिससे रोगी का शरीर पूरा सुन्न हो जाता है।
- सिर पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण।
- जन्म के टाइम दिमाग़ में अच्छे से ऑक्सिजन का प्रवेश ना होना।
- Brain Tumer
- दिमागी बुखार और Encephalitis के infection से दिमाग़ पर पड़ता है effect।
- Brain Stock होने पर blood balance को नुकसान पहुँचती है।
- Neurological decease जैसे alsire रोग।
- Genetic condition.
- कार्बन मोनो ऑक्साइड के कमी के कारण।
मिर्गी का दौरा पड़ते ही क्या करें
- मुँह पर पानी के छींटे मारें।
- रोगी को खुली हवा में ले जाए।
- बाएं या दाएं करवट में लिटा दें।
- दांतो के बीच कपड़ा या चमच रख दें ताकि दाँत लगने से जीभ ना काटने पाएं।
- इस टाइम रोगी को खिलाने या पिलाने का प्रयास ना करें।
मिर्गी का इलाज के घरेलू उपाय Epilepsy Treatment in Hindi
- तुलसी के रस में केपर मिलकर सुंघाएं।
- राई को पानी के साथ पीसकर सुंघाएं।
- तुलसी के रस में सैंधा नमक मिलाकर नाक पर बूँद-बूँद गिराएं।
- शरीफ़ा के पत्तों का रस नाक में डालें।
- जब होश आ जाए तो नींबू रस और हींग का सेवन करें।
- घी में लहसुन भूनकर खिलना चाहिए।
- मिर्गी के रोगी को रोज करोड़े के पत्तों की चटनी खानी चाहिए।
मिर्गी रोग के घरेलू उपचार – Mirgi Ka Ayurvedik Ilaj in Hindi
- भोजन में भूनी अरहर या मुंग की दाल लेना चाहिए।
- फलों में आम, अंजीर, अनार, संतरा, सेब, नाशपती, आड़ू का सेवन लाभदायक होता है।
- एक चम्मच मेहंदी का रस एक गिलास दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- नाश्ते में अंकुरित दालें, मूँग, दूध या दूध से बनी चीजें का सेवन करना अच्छा होता है।
- गाजर का मुरब्बा और पुदीना की चटनी में शामिल करें। सलाद में खीरा, मूली, गाजर, प्याज, टमाटर, नीबू का सेवन करें।
- तेल में तला हुआ लहसुन शुबह-शाम खाने और कच्चा लहसुन की कली दो भागो में तोड़कर सुघने से लाभ होगा।
- ढीले कपड़े पहने और रोज सुबह-शाम खुली हवा में टहलें।
- दौर के बाद 1-2 दिन केवल फल ही खाएं।
- उत्तर दिशा की तरफ सिर करके करवट सोएं।
- नींबू रस और मधु का सेवन करें।
- कब्ज न होने दें।
- शीर्षासन और सर्वासन से भी लाभ मिलता है। थोड़ा व्यायाम करें।
- रोज रात को एक सफेद प्याज खाएं।
- बाल छोटे रखें, सकारातमक सोच और खुश रहें।
- मक्खन या बादाम के तेल से सिर की मालिश करें।
- सिर और पेट पर मिट्टी का लेप करने से भी राहत मिलती हैं।
- नहाते टाइम सिर और पेट पर 5 मिनट तक पानी की धार डालें।
मिर्गी रोग में परहेज और सावधानियां – Avoiding and Precautions in Mirgi
- रात को ज़्यादा देर तक न जागे।
- अधिक ठंडे और ज़्यादा गरम चीजों का सेवन न करें।
- भुने, तले या मिर्च मसालेदार चटपटा भोजन से परहेज करें।
- मीट, शराब, कड़क चाय, तबाकू, कॉफी, गुटखा से परहेज करें।
- अकेले यात्रा पर जाने, सीधी चढ़ने से बचे।
- आग-पानी से दूर रहें।
- रोगी के किसी तरह का विवाद न करें नही तो उसे गुस्सा आ सकता है।
- अधिक ऊंचाई पा ना जाए।
- मसूर की दल, उड़द, गोभी, मछली, राजमा, बैगन, मटर, मूली का सेवन बहुत कम करें।
- मल या पेशाब को न रोकें।