दिन भर की भाग-दौड़ के लिए आपके पैरों की मांशपेशियों का मजबूत होना ज़रूरी है। लेकिन व्यायाम की कमी के चलते हमारे पैरों की चर्बी बढ़ती जाती है। जिससे हमारे पैरों का शेप बिगड़ जाता है और पैरों में दर्द इत्यादि की समस्या आने लगती है। इसलिए सुबह के समय तितली आसन का अभ्यास किया जाए तो पैरो की मांशपेशियों के लिए अच्छा अभ्यास हो जाती है और मांशपेशियां मजबूत भी होती है। तितली आसन को बढकोंसना भी कहा जाता है। जिसका मतलब यह है की इस योग में हम दोनो पैरों के तलवों को जनांगों के पास, हाथों की सहायता से ज़ोर से पकड़कर एक विशेष कोण के साथ रखा जाता है। मुद्रा के दौरान पैरों की गति, तितली के हिलते पैरों की तरह महसूस होने की वजह से इसे तितली आसन भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं तितली आसन कैसे करें: विधि, लाभ एवं सावधानियां – Titli Aasan Steps & Benefits in Hindi.
तितली आसन विधि – Butterfly yoga Benefits in Hindi
1- तितली आसन के नियमित अभ्यास से हमारा शरीर लचीला बनता है और हमे अन्य योग करने में मदद मिलती है। इस योग को करने से हमारे शरीर और मांशपेशियां लचीली और मजबूत बनती है। जिन लोगों को पैरों को मोड़कर बैठने की समस्या होती है उन लोगों के लिए यह अभ्यास बहुत ही लाभकारी होता है।
2- गर्भावस्था में तितली आसान बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे करने से डिलीवरी के समय होने वाला दर्द कम होता है। गर्भवती महिलाएं इस आसन को पहली तिमाही से शुरू कर सकती है। इस आसन से आपके शरीर के पिछले निचले हिस्से और जाँघवों के आंतरिक हिस्से का तनाव कम होकर खुल जाता है साथ ही घुटनों का लचीलापन भी बढ़ता है।
3- इस आसान से पैरो में खून का बहाव ठीक रहता है। गठिया और जोड़ो के दर्द में इस आसन को करने से काफ़ी आराम मिलता है।
4- जिन लोगों को अपने पैरों को मोड़कर बैठने की प्राब्लम आती है उन लोगों के लिए तितली आसन बहुत लाभकारी है।
5- तितली आसन को करने से जाँघो की मांशपेशियों में आया तनाव या खिचाव कम होता है इसलिए अधिक देर तक खड़े रहने या फिर चलने के बाद तितली आसन को किया जाए तो इससे पैरों की थकान दूर होती है।
तितली आसन विधि – Titali Aasan in Hindi
Step 1: किसी समतल स्थान पर दरी या कंबल बिछाकर उसपर बैठ जाएँ। दोनों पैरों को सामने की ओर फैला लें, अब दोनों पैर को घुटन से मोड़ें और पैरों के दोनों तलवो को आपस में मिला लें।
Step 2: अपने दोनों हाथों से पैरों की उंगलियो को पकड़े और एडी को शरीर के पास लाने का प्रयास करे।
Step 3: आपके हाथ बिल्कुल सीधे होने चाहिए और शरीर को भी पूरी तरह सीधा रखें। जिससे रीढ़ की हड्डी भी सीधी हो जाए।
Step 4: सामान्य गति से साँस लें और दोनों पैरों के घुटनो को एक साथ ऊपर की ओर लाए फिर नीचे की ओर लाएं। ऐसा करते हुए कोशिश करें कि पैर ज़मीन को ना छूने पाए।
Step 5: इस तरह अपने पैरों को लगातार 20-25 बार ऊपर-नीचे की ओर ले जाए, ध्यान रखी की झटका ना लगे।
Step 6: इसके बाद पैरों को धीरे-धीरे सीधा कर लें और कुच्छ टाइम तक शरीर को ढीला छोड़ दें।
तितली आसन में सावधानियां
1. यदि आप कटी प्रदेश या घुटनों की चोट से पीड़ित है तो सहारे के लिए जाँघो के नीचे कंबल ज़रूर रखे। बिना कंबल के इस मुद्रा को बिल्कुल न करे।
2. सायटिका के मरीज इस मुद्रा को बिल्कुल न करें या कोल्हो के नीचे गद्दी रखें।
3. यदि आपके पीठ के निचले हिस्से में तकलीफ़ है तो रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर ही यह मुद्रा करें।