दशहरा (विजयादशमी), यहां हिंदुओ का मुख्य त्योहार है। यह त्योहार प्रतिवर्ष हिंदी माह के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन पूरे देश में बडी धूमधाम से मनाया जाता है, ये एक धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है, हिंदू धर्म के विद्वानों और ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था। उसी दिन से दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है।
दशहरा निबंध (शब्द सीमा 450+ शब्द)
दशहरा पर निबंध, Essay on Dussehra 430 Words.
प्रस्तावना
दशहरा महोत्सव पूरे देश में बडी धूम धाम से मनाया जाता है, इस दिन बड़े मैदानों में हजारों की संख्या में लोग रावण दहन को देखने आते है, जिसमे रावण का विशाल पुतला बनाया जाता है, ओर एक पात्र भगवान राम के हाथो से उस पुतले को जलाया जाता है। इसी दिन से नो दिन पहले देश के लगभग हर कोनों में रामलीला आयोजित की जाती है। ओर दसवें (दशहरे) दिन रावण का पुतला जलाया जाता है।
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण के अनुसार जब भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या को छोड़कर 14 वर्ष के वनवास के लिए गए थे तब रावण की बहन शूर्पणखा ने माता सीता का अपमान किया था, उसके चलते लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक काट दी थी, उसका बदला लेने के लिए रावण ने सीता माता का अपहरण कर लिया था।
भगवान राम माता सीता को वानरों की सेना के साथ ढूंढते ढूंढते लंका पहुंच गए थे, और वहां उन्होंने कई दिनों तक रावण से युद्ध किया, भगवान राम देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया था, भगवान राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।
प्राचीन काल में दशहरा
प्राचीन काल में राजा, महाराजा इस दिन अपनी विजय के लिए प्रार्थना करते थे और रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, लोभ, हिंसा, क्रोध, मोह, माया, अहंकार, आलस्य, मत्सर, ओर चोरी जैसे अवगुणों को त्यागने की प्रेरणा हमें देता है।
आज के समय में दशहरा
आज के दिन में भी लोग अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते है। दशहरे के पवित्र दिन लोग अपने नए कार्यों की शुरुवात करते है। इस दिन क्षत्रियों के यहां शस्त्र की पूजा होती है।लोग ओर अपने उपकर्णों, शस्त्र, ओर वाहनों की पूजा करते है। बच्चे, बड़े सभी अपने अपने घरों में रावण का पुतला बनाते है और उसे जलाते है।
निष्कर्ष
भगवान श्री राम ने माता सीता को राक्षस रावण के चुंगुलो से बचाने के लिए रावण पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण को हराकर और अतिम में रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। इस कारण लोग आज दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते है, और रावण का पुतला बनाकर उसे जलाते हैं।
दशहरा पर निबंध (300+ शब्द)
दशहरा पर निबंध 300 शब्द – Essay on Dussehra 300 words.
प्रस्तावना
दशहरा हिंदुओं का मुख्य त्यौहार है। दशहरा आश्विन मास की दसवीं तिथि को मनाया जाता है। इसी महीने में गुलाबी ठंड का आगमन होता है। इस दिन भगवान रामचन्द्र जी रावण का संहार करते है और विजय प्राप्त करते है।
रामलीला मैदान
दशहरे से 10 दिन पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे का महत्व रामलीलाओं के कारण और भी बढ़ जाता है। भारत के हर शहर, हर गांव व हर गली, मोहल्ले में, रामलीला का आयोजन होता है। दिल्ली में दिल्ली गेट के करीब रामलीला मैदान की रामलीला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। वहां पर लाखों लोग रामलीला देखने के लिए आते हैं, यहां तक की दशहरे के दिन देश प्रधानमंत्री व अन्य कई बड़ी बड़ी हस्तियां भी रामलीला को देखने के लिए आते हैं।
रामलीला आयोजन
दशहरे के दिन मनोरंजक मेले का आयोजन भी होता है। उस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को जलाया जाता है। दशहरे के दिन रावण का पुतला सबसे बड़ा बनया जाता है। उसके दस सिर होते हैं। ज्यादातर लोग तो सिर्फ पुतले को देखने आते हैं। रामलीला में दशहरे के दिन आतिशबाजी देखने लायक होती है जो दर्शकों को बहुत पसंद आती है। अनेक नगरों में तो आतिशबाजी की प्रतियोगिता भी होती है। पहले भगवान श्री राम के हाथो पुतलो में अग्नि लगाई जाती है। सर्वप्रथम कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है, उसके बाद मेघनाथ के पुतले में आग लगाई जाती है। और सबसे आखिर में रावण के पुतले को जलाया जाता है।
जेसे ही रावण का पुतला जलाया जाता है वैसे ही सभी लोग अपने घर की ओर जाने लगते हैं कुछ ही समय में पूरा भरा मैदान खाली हो जाता है।
निष्कर्ष
असत्य पर सत्य की जीत के उपलक्ष्य में आज के दिन लोग अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं और आज के दिन लोग नई-नई वस्तुएं खरीदते हैं, और अपने यंत्रों की पूजा करते हैं।
दशहरा निबंध (शब्द सीमा 400)
दशहरा पर निबंध शब्द सीमा 400 – Essay on Dussehra word limit 400.
प्रस्तावना
दशहरा (विजयदशमी) का त्योहार हमारे देश मे प्रतिवर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला दशहरे का त्योहार भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, और शौर्य का उपासक है, यह दिन हमे बुराई पर अच्छाई की व असत्य पर सत्य की जीत की प्रेरणा देता है।
राम और रावण का युद्ध
राक्षस रावण अपनी बहन का बदला लेने के लिए भगवान श्री राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। देवी सीता को बचाने के लिए श्री राम लंका गए और वहां उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया था। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। श्री राम की विजय के उपलक्ष्य में इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।
दशहरे की रामलीला
दशहरे के दिन देश के हर कोनों में भव्य रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसको देखने के लिए लोग हजारों की संख्या में आते है, जिसमे रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के विशाल पुतले बनाकर उसे भगवान श्री राम के हाथो जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा मेला
दशहरा पर्व भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है, सभी जगह बड़े बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां हजारों की संख्या में लोग घूमने के लिए आते है। मेला गुमने के लिए लोग अक्सर अपने परिवार व दोस्तों के साथ आते हैं, मेले में तरह तरह की वस्तुएं मिलती है, ओर कई प्रकार के खाने की चीजे भी मिलती है। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला सबसे प्रसिद्ध है।
असत्य पर सत्य की जीत
भगवान श्री राम ने इसी दिन असुर रावण का वध किया था। इस दिन को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते है, लोग इस दिन को बहुत शुभ मानते है और अपने नए कार्य का प्रारंभ करते है और नई नई चीजे खरीदते है, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
बुराई पर अच्छाई की विजय, के उपलक्ष्य में इस दिन रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारण करते हैं और आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दशहरे का त्यौहार असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय भी कहा जाता है। इस दिन श्रीराम ने बुराई के प्रति रावण का संहार किया था।
अत: हमें भी अपनी बुराइयों को त्याग कर अच्छाइयों को स्वीकार करना चाहिए, तभी इस दिन की वास्तविक महिमा व गरिमा स्थापित हो सकती है।
तो यह था दशहरा पर निबंध आशा करते है यह आपको पसंद आया होगा।