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Home»Achisosh»दशहरा क्यों मनाते है – भगवान श्री राम द्वारा रावण का वध
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दशहरा क्यों मनाते है – भगवान श्री राम द्वारा रावण का वध

By PeterNovember 28, 2023Updated:February 20, 20244 Mins Read
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Why do we celebrate Dussehra
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दशहरा क्यों मनाते है

दशहरा (विजयदशमी) का त्योहार हमारे देश मे प्रतिवर्ष आश्विन मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है, यह त्यौहार लोगों द्वारा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। खासकर बच्चो को दशहरा त्यौहार सर्वाधिक प्रिय है। यह दिन हमे बुराई पर अच्छाई की व असत्य पर सत्य की जीत की प्रेरणा देता है, परंतु आपको क्या ये पता है की दशहरा क्यों मनाया जाता है। आज हम आपको ट्रेंडी हिंदी के माध्यम से बताते हैं, की दशहरा क्यों मनाया जाता है।

  • दशहरा 2023 पूजा

दशहरा 2023 में कब है? (Dussehra 2023 Date)

विजयदशमी का त्योहार नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है, यह प्रत्येक वर्ष अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, 2023 में यह त्योहार 24 अक्टूबर के दिन को मनाया जाएगा।

दशहरा पर्व से जुड़ी कथाएं

दशहरा का त्योहार हमारे देश में कई कारणों से मनाया जाता है, जैसे श्री राम की रावन पर विजय के उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है, अथवा इस दिन राक्षस महिसासुर का वध कर दुर्गा माता विजयी हुई थी, और इसी दिन पांडवों का वनवास के रूप में और भी कई जगहों पर दशहरा का अपना अलग अलग महत्व है।

भगवान श्री राम द्वारा रावण का वध

दशहरे का त्योहार कई कारणों से प्रचलित है, जिसमे से सबसे प्रचलित कथा श्री राम व रावण युद्ध की है, श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे जो की धरती पर पाप, ओर अहंकार, को मिटाने के लिए आए थे।

अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के चार पुत्र थे, राम, लक्ष्मण, भरत, ओर शत्रुघ्न। राम सबसे बड़े बेटे थे व अयोध्या के होने वाले राजा थे, परंतु क्षत्रिय धर्म के कारण व पिता दशरथ के वचनों के कारण राजकुमार राम, भाई लक्ष्मण और पत्नी देवी सीता के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए गए थे।

रावण जो कि एक महाबली अहंकारी पुरुष था, वहां अपनी सोने की लंका में रहता था, रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता था, ओर भगवान शिव का भक्त था, रावण एक ब्राह्मण था, जिसे सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान था, रावण के पिता विशर्वा थे जो एक ब्राह्मण थे एवं रावण की माता राक्षस कुल की थी, इसी कारण रावण में ब्राह्मण की तरह ज्ञान, व राक्षस के सामान अहंकार और कई शक्तियां थी।

रावण की बहन शूर्पणखा ने एक बार माता सीता का अपमान किया था जिसके चलते लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक काट दी थी, राक्षस रावण अपनी बहन का बदला लेने के लिए भगवान श्री राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था।

देवी सीता को बचाने के लिए श्री राम लंका गए और वहां उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया था। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। श्री राम की विजय के उपलक्ष्य में इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।

दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए भी मनाया जाता है, और इससे यह साबित होता है, की बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है, और बुराई पर अच्छी अच्छी की जीत होती है।
दशहरा मेला-

दशहरा पर्व भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, सभी जगहो पर मेलों का आयोजन होता है, जहां बच्चो के लिए खिलोने, खाने पीने की दुकानें और भव्य दुकानों का अयोजन होता है।

इस दिन घर के सभी व्यक्ति कासकर बच्चे दशहरे मैदान पर घूमने के लिए जाते हैं. कई लोग तो अपने परिवार वालो के साथ और कई अपने दोस्तो के साथ दशहरा मेला घूमने के लिए जाते हैं। जहां तरह तरह की वस्तुएं देखेनें को मिलती है।

दशहरा में रामलीला आयोजन

दशहरे के दिन रामलीला का आयोजन बड़ी धूम – धाम से होता है, इस दिन देश के हर कोनों में भव्य रामलीला का आयोजन किया जाता है, उस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले को जलाया जाता है, जिसमें रावण का पुतला सबसे बड़ा बनाया जाता है और उसके 10 सर बनाए जाते हैं, भगवान श्री राम के हाथो पुतलो में अग्नि लगाई जाती है। सर्वप्रथम कुंभकर्ण का पुतला जलाया जाता है, उसके बाद मेघनाथ के पुतले में आग लगाई जाती है। और सबसे आखिर में रावण के पुतले को जलाया जाता है। जिन्हे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

दशहरा पर कविता एवम शायरी

जिस प्रकार भगवान राम द्वारा रावण को जलाया जाता है,
ओर बुराई को नष्ट कर दिया जाता है,
उसी प्रकार हमे भी अपने अंदर छुपी बुराइयों को नष्ट कर देना चाहिए।

आशा करते है, दशहरा पर आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, आशा करते है आप इस लेख को शेयर जरूर करेंगे, जिससे अधिकतम लोगों को दशहरा के बारे में पता चल सके।

Dussehra
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Peter
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Welcome to Achisoch.com, where the art of expression finds its home! I'm Peter, your guide through the fascinating realms of thought, creativity, and insight. As an avid blogger on Achisoch.com, I navigate the vast landscapes of ideas, weaving words into compelling narratives that resonate with intellect and emotion.

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