AchisochAchisoch
  • Home
  • Business
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • News
  • Tech
  • Tips
  • Travel
Facebook Twitter Instagram
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • Sitemap
Facebook Twitter Instagram
AchisochAchisoch
  • Home
  • Business
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • News
  • Tech
  • Tips
  • Travel
Contact
AchisochAchisoch
Home»Achisosh»तुलसीदास जी के दोहे हिंदी अर्थ सहित
Achisosh

तुलसीदास जी के दोहे हिंदी अर्थ सहित

By PeterDecember 7, 2023Updated:February 20, 20246 Mins Read
Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Email Telegram WhatsApp
Tulsidas Ji ke Dohe in Hindi with Meaning गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे अर्थ सहित
Tulsidas Ji ke Dohe
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

गोस्वामी तुलसीदास (1511 – 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था।

कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है।

रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। इस लेख के जरिये हम आपके गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे हिंदी अर्थ सहित में दर्शा रहे हैं।

Tulsidas Ji ke Dohe in Hindi with Meaning

तुलसीदास जी के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Tulsidas Ke Dohe

(1)

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक !
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है।


(2)

सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस !
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास !!

अर्थ: गोस्वामीजी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु —ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म – इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है।


(3)

राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार !
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर !!

अर्थ: तुलसीदासजी कहते हैं कि हे मनुष्य ,यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखरूपी द्वार की जीभरुपी देहलीज़ पर राम-नामरूपी मणिदीप को रखो।


(4)

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर !
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि !!

अर्थ: गोस्वामीजी कहते हैं कि सुंदर वेष देखकर न केवल मूर्ख अपितु चतुर मनुष्य भी धोखा खा जाते हैं |सुंदर मोर को ही देख लो उसका वचन तो अमृत के समान है लेकिन आहार साँप का है।


(5)

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु !
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु !!

अर्थ: शूरवीर तो युद्ध में शूरवीरता का कार्य करते हैं ,कहकर अपने को नहीं जनाते | शत्रु को युद्ध में उपस्थित पा कर कायर ही अपने प्रताप की डींग मारा करते हैं।


(6)

नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु !
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास !!

अर्थ: राम का नाम कल्पतरु (मनचाहा पदार्थ देनेवाला )और कल्याण का निवास (मुक्ति का घर ) है,जिसको स्मरण करने से भाँग सा (निकृष्ट) तुलसीदास भी तुलसी के समान पवित्र हो गया।


(7)

सहज सुहृद गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि !
सो पछिताइ अघाइ उर अवसि होइ हित हानि !!

अर्थ: स्वाभाविक ही हित चाहने वाले गुरु और स्वामी की सीख को जो सिर चढ़ाकर नहीं मानता ,वह हृदय में खूब पछताता है और उसके हित की हानि अवश्य होती है।


(8)

काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान !
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, जब तक व्यक्ति के मन में काम, गुस्सा, अहंकार, और लालच भरे हुए होते हैं तब तक एक ज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति में कोई भेद नहीं रहता, दोनों एक जैसे ही हो जाते हैं।


(9)

तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग !
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, इस दुनिय में तरह-तरह के लोग रहते हैं, यानी हर तरह के स्वभाव और व्यवहार वाले लोग रहते हैं, आप हर किसी से अच्छे से मिलिए और बात करिए। जिस प्रकार नाव नदी से मित्रता कर आसानी से उसे पार कर लेती है वैसे ही अपने अच्छे व्यवहार से आप भी इस भव सागर को पार कर लेंगे।


(10)

तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान !
भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण !!

अर्थ: गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, समय बड़ा बलवान होता है, वो समय ही है जो व्यक्ति को छोटा या बड़ा बनाता है| जैसे एक बार जब महान धनुर्धर अर्जुन का समय ख़राब हुआ तो वह भीलों के हमले से गोपियों की रक्षा नहीं कर पाए।


Tulsidas Ke Dohe in Hindi

(11)

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए !
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, ईश्वर पर भरोसा करिए और बिना किसी भय के चैन की नींद सोइए| कोई अनहोनी नहीं होने वाली और यदि कुछ अनिष्ट होना ही है तो वो हो के रहेगा इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़ अपना काम करिए।


(12)

दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान !
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण !!

अर्थ: गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है।


(13)

काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान !
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, जब तक व्यक्ति के मन में काम, गुस्सा, अहंकार, और लालच भरे हुए होते हैं तब तक एक ज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति में कोई भेद नहीं रहता, दोनों एक जैसे ही हो जाते हैं|


(14)

तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग !
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, इस दुनिय में तरह-तरह के लोग रहते हैं, यानी हर तरह के स्वभाव और व्यवहार वाले लोग रहते हैं, आप हर किसी से अच्छे से मिलिए और बात करिए| जिस प्रकार नाव नदी से मित्रता कर आसानी से उसे पार कर लेती है वैसे ही अपने अच्छे व्यवहार से आप भी इस भव सागर को पार कर लेंगे|


(15)

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए !
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए !!

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, ईश्वर पर भरोसा करिए और बिना किसी भय के चैन की नींद सोइए| कोई अनहोनी नहीं होने वाली और यदि कुछ अनिष्ट होना ही है तो वो हो के रहेगा इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़ अपना काम करिए|

यहाँ पढ़ें:

  • कबीर दास के दोहे अर्थ सहित
  • रहीम दास के दोहे अर्थ सहित
  • संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  • प्रसिद्ध मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ
Dohe
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
Previous Articleटोनी रॉबिंस के 28 सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कथन – Tony Robbins Quotes in Hindi
Next Article वॉरेन बफे के 40 सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार – Warren Buffett Quotes in Hindi
Peter
  • Website

Welcome to Achisoch.com, where the art of expression finds its home! I'm Peter, your guide through the fascinating realms of thought, creativity, and insight. As an avid blogger on Achisoch.com, I navigate the vast landscapes of ideas, weaving words into compelling narratives that resonate with intellect and emotion.

Related Posts

Romantic Love Shayari Gujarati: પ્રેમની મીઠાશ શબ્દોમાં

April 5, 2025

महिलाओं में गंजापन दूर करने के सुझाव

December 17, 2023

Need na Aaye to Kya Kare – अच्छी नींद पाने के घरेलू उपाय

December 17, 2023

Achi Neend ke Liye Kya Kare – अच्छी और गहरी नींद आने के आसान घरेलू उपाय

December 17, 2023
Add A Comment

Leave A Reply Cancel Reply

Most Popular

Matlabi Log Shayari in Hindi: स्वार्थी लोगों की सच्चाई को बयां करने वाली शायरी

May 3, 2025

Motivation Allama Iqbal Shayari in Hindi: जीवन को दिशा देने वाली शायरी

May 1, 2025

Bharosa Shayari in Hindi: विश्वास की ताकत को शब्दों में बयां करने वाली शायरी

May 1, 2025

Kismat Zindagi Se Pareshan Shayari: जब किस्मत से मन नहीं भरता

May 1, 2025
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • Sitemap
Achisoch.com © 2025 All Right Reserved

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.