दोस्तों, आप तो जानते होंगे, पौष मास का महीना शुरू हो गया है। हिन्दू धर्म में सभी महीनों का अपना-अपना महत्व है पर इस मास का विशेष महत्व है। इस महीने में सूर्य पूजा का विशेष महत्व होता है। कालाष्टमी पूजा पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है।
कालाष्टमी व्रत
शास्त्रों में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू पंचाग के अनुसार एक वर्ष में 12 कालाष्टमी होती हैं। वहीं कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रूप में काल भैरव की पूजा की जाती है. कालभैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। इस बार पौष माह में कालाष्टमी 16 दिसंबर 2022 शुक्रवार को मनाई जाएगी।
पौष मासिक कालाष्टमी तिथि
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ: 16 दिसंबर, शुक्रवार, 01: 39 एएम |
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 17 दिसंबर, शनिवार प्रातः 03:02 मिनट |
कालाष्टमी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
- 16 दिसंबर को कालाष्टमी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: रात्रि 11:50 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक
काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में करते हैं। - अभिजित मुहूर्त: प्रातः 11: 56 मिनट से दोपहर 12: 37 मिनट तक
कालाष्टमी की पूजन विधि
- कालाष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।
- कालाष्टमी के दिन पूजा स्थल की सफाई की जाती है और काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है।
- इसके बाद घर में गंगाजल छिड़कें और उन्हें फूल चढ़ाएं।
- अब काल भैरव की पूजा धूप और दीप से की जाती है और नारियल, इमरती, पान और शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- इसके बाद कालभैरव के सामने चौमुखा दीपक जलाएं।
- पूजा के दौरान भैरव चालीसा और मंत्रों का पाठ करें।
- पूजा के अंत में काल भैरव की पूजा आरती करें और काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
काल भैरव की पूजा के अलावा अलावा क्या करे कालाष्टमी के दिन
- कालाष्टमी के दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करना चाहिए।
- काल भैरव मंदिर जाएं और तेल का दीपक जलाएं।
- कालाष्टमी के दिन कुत्तों को खाना खिलाएं।
- कालाष्टमी के दिन किसी से झूठ या छल-कपट न करें। ऐसा करना आपको भारी पड़ सकता है।
- काल भैरव की पूजा के अलावा भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करे।
- देश के कई हिस्सों में इस दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा भी होती है। यही कारण है कि मां दुर्गा की भी पूजा करे।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार हैं। भक्त अपने क्रोध, लोभ और अन्य व्यसनों से मुक्ति पाने के लिए कालाष्टमी का शीघ्र दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और आध्यात्मिकता का आशीर्वाद देंगे। काल भैरव को सभी मंदिरों के रक्षक क्षेत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग भगवान काल भैरव की पूरे मन से पूजा करते हैं, भगवान उनकी बुराई और अंधकार से रक्षा करते हैं।
मासिक कालाष्टमी पूजा तारीख व समय – Masik Kalashtami Calendar 2023
12 महीने |
दिन |
दिनांक |
तिथि |
जनवरी |
मंगलवार |
जनवरी 25, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
फरवरी |
बुधवार |
फरवरी 23, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
मार्च |
शुक्रवार |
मार्च 25, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
अप्रैल |
शनिवार |
अप्रैल 23, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
मई |
रविवार |
मई 22, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
जून |
सोमवार |
जून 20, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
जुलाई |
बुधवार |
जुलाई 20, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
अगस्त |
शुक्रवार |
अगस्त 19, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
सितम्बर |
शनिवार |
सितम्बर 17, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
अक्टूबर |
सोमवार |
अक्टूबर 17, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
नवम्बर |
बुधवार |
नवम्बर 16, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
दिसम्बर |
शुक्रवार |
दिसम्बर 16, 2022 |
कृष्ण अष्टमी |
पौष माह
शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में साल के सभी महीने किसी न किसी देवता की पूजा के लिए समर्पित होते हैं। मार्गशीर्ष मास समाप्त होते ही पौष मास प्रारंभ हो जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इसे दसवां महीना माना जाता है। इस माह में भगवान सूर्य के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा इस महीने को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। इसलिए इस महीने में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।