15 August Poems in Hindi: प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वन्त्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत के लोगों के लिये ये दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से इसी दिन भारत को आजादी मिली। 15 अग्स्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से देश की स्वतंत्रता को सम्मान देने के लिये पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रुप में इस दिन को घोषित किया गया है।
इस लेख के जरिये आज हम आपको 15 August Independence Day Poems in Hindi साझा कर रहे हैं। ये कवितायेँ अपने देश से प्रेम और उन स्वतंत्रता सेनानियों पे लिखी गयी हैं जिन्होंने अपनी प्राणों की न सोचकर अपने देश के लिए अमर हो गए।
15 August Poems in Hindi
“मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;
ज्ञान जहां मुक्त है;
और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;
जहां शब्द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;
जहां कारण की स्पष्ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्ता खो नहीं चुकी है;
जहां मन हमेशा व्यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्वर्ग में पहुंच जाता है
ओ पिता
मेरे देश को जागृत बनाओ”
“गीतांजलि”
– रवीन्द्रनाथ टैगोर
स्वर्ग या तोरण पथ से बेहतर
मैं तुम्हें प्यार करता हूं, ओ मेरे भारत
और मैं उन सभी को प्यार करुंगा
मेरे सभी भाई जो राष्ट्र में रहते हैं
ईश्वर ने पृथ्वी बनाई;
मनुष्य ने देशों की सीमाएं बनाई
और तरह तरह की सुंदर सीमा रेखाएं खींचीं
परन्तु अप्राप्त सीमाहीन प्रेम
मैं अपने भारत देश के लिए रखता हूं
इसे दुनिया में फैलाना है
धर्मों की माँ, कमल, पवित्र सुंदरता और मनीषी
उनके विशाल द्वार खुले हैं
वे सभी आयु के ईश्वर के सच्चे पुत्रों का स्वागत करते हैं
जहां गंगा, काष्ठ, हिमालय की गुफाएं और
मनुष्यों के सपने में रहने वाले भगवान
मैं खोखला हूं; मेरे शरीर ने उस तृण भूमि को छुआ है
– स्वामी योगानंद परमहंस
लोकतंत्र के सपने
एक हाथ में लोकतंत्र के सपने
दूसरे में बारूदी छर्रे!
बोलिए-हिप-हिप हुर्रे!
एक तरफ़ भूखे एहसास;
दूसरी तरफ कसाई!
जी हाँ, आपने भी
सही जगह बस्ती बसाई!
पेट में उगते हैं मौसम,
चूल्हे में सुबह-शाम!
बाकी जिंदगी तो होती है,
सड़कों पर तमाम |
आस्तीनों में पलते हैं दोस्त,
म्यानों में मिलते हैं संबंध!
मखमल के हैं संबोधन,
लेकिन टाट के हैं पैबंद!
पर, मेरे वैचारिक सहचरो!
वोट देते ही रटने लगो-
संविधानी मंत्र! वरना
फिर किस तरह बचेगा लोकतंत्र!
और अगर लोकतंत्र नहीं रहा तो
तुम्हारा पेट और चूल्हा कहाँ जाएगा?
–सुधीर सक्सेना ‘सुधि’
Yaha Padhe: 15 August Independence Day Essay in Hindi
Indian Independence Day Short Poems/ Kavita
तलवार उठाने से पहले तुम इसीलिए
मिट जाने वालों का गौरव गान करो ||
आरती सजाने से पहले तुम इसीलिए ,
आजादी के परवानो का सम्मान करो||
जहां सूरज की थाली है
जहां चंदा की प्याली है
फिजा भी क्या दिलवाली है
कभी होली तो दिवाली है
वो बिंदिया चुनरी पायल
वो साडी मेहंदी काजल
रंगीला है समां
वही है मेरा हिन्दुस्तान
कही पे नदियाँ बलखाएं
कहीं पे पंछी इतरायें
बसंती झूले लहराएं
जहां अन्गिन्त हैं भाषाएं
सुबह जैसे ही चमकी
बजी मंदिर में घंटी
और मस्जिद में अजांन
वही है मेरा हिन्दुस्तान
कहीं गलियों में भंगड़ा है
कही ठेले में रगडा है
हजारों किस्में आमों की
ये चौसा तो वो लंगडा है
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया
तिरंगा सबने लहराया
तिरंगा लेकर फिरे यहाँ-वहां
वहीँ है मेरा हिन्दुस्तान
जहाँ हर चीज है प्यारी
सभी चाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी ज़बांन
वही है मेरा हिन्दुस्तान
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है
वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशांन
वही है मेरा हिन्दुस्तान
जहाँ फूलों का बिस्तर है
जहाँ अम्बर की चादर है
नजर तक फैला सागर है
सुहाना हर इक मंजर है
वो झरने और हवाएँ,
सभी मिल जुल कर गायें
प्यार का गीत जहां
वही है मेरा हिन्दुस्तान
आइये उन लोगों को स्वतंत्रता दिवस सुन्दर सी कविताओं के जरिये इस दिन श्रद्धांजलि देते हैं।
4 Comments
bahut khoob.. jay hind jay bharat.
A tribute to Bharat and jeans on these 70years of independence
घायल पड़ा शेर है, फिर भी जज़्बा कमाल का है
जेल में सड़ी गली रोटियाँ है फिर भी आज़ादी की बिंगुल बजा रहा है
पानी को तरसा है पर खून में उफ़ान है
ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है।
nice poems