सूर्य नमस्कार योग विधि और लाभ – Surya Namaskar Steps & Benefits in Hindi: सूर्य को ज्ञान और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। सूर्य को हम बहुत पहले से ही पूजते चले आ रहे हैं। सूर्यनमस्कार योग सूर्य भगवान् से ज्ञान और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए प्राणायाम किया जाता है इसे हम सूर्यनमस्कार कहते है। सूर्यनमस्कार योग में हम सुबह सूर्य की पहली किरण में सूर्योदय के समय सूर्यदेव की ओर मुँह करके रखना चाहिए। सूर्यनमस्कार एक बहुत ही उत्तम योग व्यायाम है जो आसान प्राणायाम, मन्त्र और ध्यान तंत्र से परिपुर्ण है। सूर्यनमस्कार एक आसान और परफेक्ट एक्सरसाइज है जिसके फायदे हमारी लाइफ को तेज, निरोगी और गति शील बनाती है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन (मंत्र)
सूर्यनमस्कार में पूरे 12 आसन किए जाते है। सूर्यनमस्कार को करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय के समय होता है। इस योग को सूर्य के तरफ मूह करके स्वच्छ हवादार स्थान पर करने से ज़्यादा लाभ मिलता है। आप चाहें तो सूर्यास्त के समय भी सूर्यनमस्कार कर सकते हैं। अगर आपको पास समय नहीं है तो आप इस योग को दिन में खाली पेट भी कर सकते हैं। नीचे हम आपको बता रहे कौन से हैं 12 मन्त्र जिन्हे पढ़कर आप अपने शरीर और मन को निरोगी और तेजस्वी बना सकते हैं।
- प्रणाम आसन
- हस्तोत्तानासन
- हस्तपाद आसान
- अश्व सञ्चालन आसान
- दण्डासन
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंग आसान
- पर्वतासन
- अश्वसंचालन आसान
- हस्तपाद आसान
- हस्तuthaan आसान
- ताड़ासन
सूर्यनमस्कार विधि करने की विधि – Surya Namaskar Steps in Hindi
Step 1 प्रणाम आसन: सूर्य की तरफ अपने दोनो हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाए। अपने दोनो आँखों को बंद कर दें। ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करके सूर्य भगवान की जय जय कर ओम मित्राय नमः मंत के द्वारा मन ही मन ध्यान करें।
Step 2 हस्तउत्तानासन:साँस भरते हुए दोनो हाथो को कानो से सताते हुए उपर की ओर ताने और भुजाओ और गर्दन को पीछे की ओर झुकाए। ध्यान को गर्दन के पीछे बिशुढ़ी चक्र पर केंद्रित करे।
Step 3 हस्तपाद आसन: इस अवस्था में आप साँस को धीरे -धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाए। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरो के दाएं-बाए ज़मीन को टच करें। अपने घुटने को सीधे रखें। माथा घुटनो को टच करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे मणिपुरक चक्र पर केंद्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुके। कमर और रीढ़ के से पीड़ित इस योग को ज्यादा नहीं करें।
Step 4 अश्व संचालन आसन: इसी स्थिति में साँस को भरते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाए। छाती को खींचकर आगे की ओर ताने। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाए। टांग तने हुए पीछे की ओर खींचाव और पैर का पाँजा खड़ा हुआ होना चाहिए। इस स्थिति मे थोड़ा रुके। ध्यान को स्वाधीस्तान पर ले जाए। अपने मूह को स्थिर रखें।
Step 5 दंडासन: अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए डाए पैर को भी पीछे ले जाए। दोनो पैरो की एड़ियों को मिला लें। पीछे की ओर शरीर को खिचाव दें और एड़ियों को ज़मीन पर मिलाने का प्रयास करें। नितंबो को अधिक से अधिक उपर उठाए। गर्दन को नीचे झुककर थोड़ी को कंठकूप मे लगाए। ध्यान सहस्रार चक्र पर केंद्रित करें।
Step 6 अष्टांग नमस्कार : सांस भरते हुए शरीर को ज़मीन के समान्तर, सीधा सस्तंग दंद्वत करें और पहले घुटने, छाती और माता ज़मीन पर लगा दें। नितंबो को थोड़ा उप्पर उठा दें। साँस को छोड़ दें। ध्यान को अनहार चक्र पर टीका दें। सांस को सामान्य करे।
Step 7 भुजंग आसन: इस अवस्था मे धीरे-धीरे साँस को भरते हुए छनती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाए। घुटने ज़मीन का स्पर्श करते हुए और पैरो के पंजे खड़े रखें। मूलाधार को खींचकर वही ध्यान को टीका दें।
Step 8 पर्वत आसन : अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाए। ध्यान रहे दोनो पैरो की एड़ियों को परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को ज़मीन पर मिलाने का प्रयास करें। नितंबो को अधिक से अधिक उपर उठाए। गर्दन को नीचे झुककर ठुड्डी को कंठकूप में लगाएं। ध्यान संसरार चक्त्र पर केंद्रित करे।
Step 9 अश्वसंचालन आसन: इस स्थिति में साँस को भरते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। छाती को खींचकर आगे की ओर ताने। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाए। तंग तनी हुए सीधी पीछे की ओर खिचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय के लिए रुके। अपने ध्यान को स्वाधीस्तान पर ले जाए।
Step 10 हस्तपाद आसन: अब आप साँस को धीरे-धीरे बाहर निकलते हुए आगे की ओर झुकाए। हाथ गर्दन के साथ, कानो से सटे हुए नीचे जाकर पैरो के दाए पैर ज़मीन का स्प्रश करें। घुटने सीधे रखें और माथा घुटनो का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे मणिपुरक चक्र पर केंद्रित करते हुए कुछ पल इसी अवस्था में रुके रहें।
Step 11: साँस भरते हुए दोनो हाथों को कानों से सताते हुए उपर की ओर ताने और भुजाओ और गर्दन को पीछे की ओर झुकाए। ध्यान को गर्दन के पीछे विशुढ़ी चक्र पर केंद्रित करे।
Step 12: यह स्थिति – पहली स्थिति की तरह रहेगी. सूर्या नमस्कार योगा आपके शरीर को संपूर्ण अंगो की विकृतीयो को डोर करके निरोग बना देती है.
सूर्यनमस्कार से होने वाले लाभ – Benefits of Surya Namaskar in Hindi
सूर्यनमस्कार से एक आसान योग है जो हर कोई कर सकता है. इससे हमें बहुत सारे लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं।
- सूर्योदय के समय खाली पेट सूर्यनमस्कार करने से शरीर को विटामिन दी मिलती है जिससे शरीर मजबूत होता है।
- शरीर का कापना, अंदुरुनी मालिश, जोड़ों को सुगठित करने के लिए सूर्यनमस्कार बहुत ही उत्तम योग है।
- सूर्यनमस्कार करने से शरीर को उर्जा देनेवाली पिंगड़ा नाड़ी फ्रेश रहती है।
- सूर्य नमस्कार करने से आँखों की रौशनी सही रहती है और आँखों की दृष्ट ज्यादा बढ़ती है।
- सूर्य नमस्कार करने से वजन कम होता है। साथ ही शरीर लचीला भी बनता है।
- पाचन, श्वसन, प्रजनन, तंत्रिका को संतुलित रखता है।
- दिमाग को प्रयुक्त ब्लड का ट्रांसफर प्रदान करता है।
- मन को शांत और चिंतामुक्त करता है।
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